Manoj Madhur
Thursday, 8 October 2015
खिलते किसी फूल को तोड़ा नहीं करते
खिलते किसी फूल को तोड़ा नहीं करते
बहती नदी को यूँ ही मोड़ा नहीं करते
जो जी रहा है तुम्हारा नाम ले -लेकर
मँझधार के बीच में छोड़ा नहीं करते
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