वसंत आगमन पर एक घनाक्षरी छंद:-
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फागुन के बीतते ही, चैत मास लगते ही,
शिशिर सरकते ही, रितु रानी आती है ।
विटप हरियाते हैं, विहंग हरषाते हैं,
कुसुम मुसकाते हैं, मही झूम जाती है ।
अमराई अँगड़ाये, पीतांबर लहराये,
खलिहान मुसकाये, पौन गीत गाती है ।
राग-रंग औ' उमंग,चढ़ जाये अंग-अंग,
मन में उड़े पतंग, प्रीत जग जाती है ।
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