रक्षाबंधन के संदर्भ में घनाक्षरी -मनोज शर्मा 'मधुर'
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हृदय में प्यार भर, नैनों में दुलार भर,
बहिनों ने ख़रीदी हैं,देखो आज राखियाँ ।
पावन मनोभाव से , मन के पूरे चाव से,
भइया भी ले आये हैं ,महँगी निशानियाँ ।।
माथे पे तिलक कर , राखियों को बाँधकर,
भइया को खिलायेंगी,बहिनें मिठाइयाँ।
चरणों को स्पर्श कर ,निशानियाँ भेंट कर,
भइया भी निभायेंगे, सारी ज़िम्मेदारियाँ ।।
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हृदय में प्यार भर, नैनों में दुलार भर,
बहिनों ने ख़रीदी हैं,देखो आज राखियाँ ।
पावन मनोभाव से , मन के पूरे चाव से,
भइया भी ले आये हैं ,महँगी निशानियाँ ।।
माथे पे तिलक कर , राखियों को बाँधकर,
भइया को खिलायेंगी,बहिनें मिठाइयाँ।
चरणों को स्पर्श कर ,निशानियाँ भेंट कर,
भइया भी निभायेंगे, सारी ज़िम्मेदारियाँ ।।
Hi
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