सौ समंदर के बराबर आस है
मुफ़लिसी में आजकल उल्लास है
मुझको आँखें मत दिखा ए ज़िन्दगी
देख मेरे हाथों में सल्फास है
रोटी, कपड़ा भी मयस्सर अब नहीं
उड़ रहा सरकार का उपहास है
तुम भी लूटो, हम भी लूटें देश को
हर सदी में ऐसा ही इतिहास है
रोज़-रोज़ वज़ूद की इस ज़ंग में
सल्तनत में मच रहा संत्रास है
ज़ुर्म की फ़ौरन सज़ा मिलती नहीं
संविधानी तंत्र ये बकवास है
हुस्न वालों की निगाहों में 'मधुर'
इश्क़-मोहब्बत तो टाइमपास है
मायने: मुफ़लिसी-ग़रीबी, सल्फास-कीटनाशक ज़हर, मयस्सर-उपलब्ध, उपहास -मज़ाक, संत्रास-भय का वातावरण/ आतंक
मुफ़लिसी में आजकल उल्लास है
मुझको आँखें मत दिखा ए ज़िन्दगी
देख मेरे हाथों में सल्फास है
रोटी, कपड़ा भी मयस्सर अब नहीं
उड़ रहा सरकार का उपहास है
तुम भी लूटो, हम भी लूटें देश को
हर सदी में ऐसा ही इतिहास है
रोज़-रोज़ वज़ूद की इस ज़ंग में
सल्तनत में मच रहा संत्रास है
ज़ुर्म की फ़ौरन सज़ा मिलती नहीं
संविधानी तंत्र ये बकवास है
हुस्न वालों की निगाहों में 'मधुर'
इश्क़-मोहब्बत तो टाइमपास है
मायने: मुफ़लिसी-ग़रीबी, सल्फास-कीटनाशक ज़हर, मयस्सर-उपलब्ध, उपहास -मज़ाक, संत्रास-भय का वातावरण/ आतंक