Sunday, 17 January 2016

नववर्ष पर गीत



नगर -नगर में धूम मची है झूम रहा  गगन है
नया साल है उमंग नई है नया खिला सुमन है

रिश्तों की नई पौध लगाने अन्तर्मन झकझोड़ दो
जीवन के बेसुध रथ को नई दिशा नया मोड़ दो
अतीत के पन्ने फाड़ के, करना फिर से हवन है
नया साल है उमंग नई है नया खिला सुमन है

बुरी आदतें, बुरे मंसूबे आओ हम-तुम छोड़ दें
नशा भरा है जिस बोतल में , हाथ उसके  जोड़ लें
दुनिया में सबसे पूजनीय अपना चाल-चलन है
नया साल है उमंग नई है नया खिला सुमन है

अपनी ख़ुशियों की कुछ फसलें मासूमों के घर रौंप  दो
 भूखे पेटों की ज़िम्मेदारी, अपने काँधों को सौंप दो
निष्ठुरता की सोच  का,  करना आज दमन है
नया साल है उमंग नई है नया खिला सुमन है

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