Saturday, 23 January 2016

चलो वापिस चलें हम गाँव के लिए

चलो वापिस चलें हम गाँव के लिए
दो पेड़ नहीं शहर में छाँव के लिए

मशीनी घोड़ों की लत इस क़दर लगी
क़ुबूल नहीं  क़दम भर पाँव के लिए

कोई कब से नहीं आया है अपने घर
चलो कौआ तलाशें काँव के लिए

जिधर देखा, मिली है आग हर तरफ़
कहाँ से लाऊँ  गुलशन ठाँव के लिए

लगाना है, लगा घर अपना दाँव पे
वतन ज़ौजा नहीं सुन दाँव के लिए

मायने:  ठाँव के लिए-ठहरने के लिए, ज़ौजा-जोरू/पत्नी, गुलशन-बाग़

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