तेरे दिल की बंद खिड़की रोज़ खुलनी चाहिए
दुश्मनी की सब क़िताबें आज जलनी चाहिए
सींच दो मेरे लहू से आज उजड़े बाग़ों को
हो गईं जो ख़ुश्क कलियाँ फिर से खिलनी चाहिए
क़ैद कर लो गिरगिटों को जो करें गुस्ताख़ियाँ
इस चमन में तितलियाँ बेखौफ़ मिलनी चाहिए
रह भलें जाये अधूरी यार तेरी मन्नतें
पर इबादत की घड़ी दिन-रात चलनी चाहिए
क्या हुआ जो लड़खड़ा के आज फिर से गिर पड़े
कोशिशें तेरी मुसलसल रोज़ चलनी चाहिए
हो गयें छाले बहुत से देश के सुन पाँव में
इस सियासत की शुरू से नींव डलनी चाहिए
है अगर पत्थर ज़माना यार रहने दे उसे
पेड़ ऐसा बन, जहाँ को छाँव मिलनी चाहिए
मायने- ख़ुश्क- सूखी हुईं , मुसलसल-लगातार, बाग़-उद्यान
दुश्मनी की सब क़िताबें आज जलनी चाहिए
सींच दो मेरे लहू से आज उजड़े बाग़ों को
हो गईं जो ख़ुश्क कलियाँ फिर से खिलनी चाहिए
क़ैद कर लो गिरगिटों को जो करें गुस्ताख़ियाँ
इस चमन में तितलियाँ बेखौफ़ मिलनी चाहिए
रह भलें जाये अधूरी यार तेरी मन्नतें
पर इबादत की घड़ी दिन-रात चलनी चाहिए
क्या हुआ जो लड़खड़ा के आज फिर से गिर पड़े
कोशिशें तेरी मुसलसल रोज़ चलनी चाहिए
हो गयें छाले बहुत से देश के सुन पाँव में
इस सियासत की शुरू से नींव डलनी चाहिए
है अगर पत्थर ज़माना यार रहने दे उसे
पेड़ ऐसा बन, जहाँ को छाँव मिलनी चाहिए
मायने- ख़ुश्क- सूखी हुईं , मुसलसल-लगातार, बाग़-उद्यान
No comments:
Post a Comment