Sunday, 17 January 2016

उसे सोचा, उसे सिरजा, उसे पूजा गया हर पल

उसे सोचा, उसे सिरजा, उसे पूजा गया हर पल
किसी पत्थर, किसी बुत को ख़ुदा माना गया हर पल

कोई तो है सुनेगा जो सदायें उस इरम में से
भरोसे में गदागर को खड़ा पाया गया हर पल

अक़ीदत को, इबादत को क्यों न कहें रियाकारी
न कोई है, न कोई था किसे ढ़ूढ़ा गया हर पल

अज़ब तदबीर क़ायम है ज़मी को कब्ज़ करने की
कहीं मस्ज़िद, कहीं मंदिर बना डाला गया हर पल

क्या हिन्दू ? क्या मुस्लिम? फ़रेबी हैं , ज़रा सुन लो
कभी मतलब, कभी डर से, उसे पूछा गया हर पल

मायने: सिरजा-सृजन किया, इरम-कृत्रिम स्वर्ग, गदागर-याचक, अक़ीदत- आस्था, रियाकारी-पाखंड, तदबीर-युक्ति

No comments:

Post a Comment