Manoj Madhur

Saturday, 27 February 2016

सौ समंदर के बराबर आस है

›
सौ समंदर के बराबर  आस है मुफ़लिसी में आजकल उल्लास है मुझको आँखें  मत दिखा ए ज़िन्दगी देख मेरे हाथों में सल्फास है रोटी, कपड़ा भी मयस्सर ...
Saturday, 23 January 2016

चलो वापिस चलें हम गाँव के लिए

›
चलो वापिस चलें हम गाँव के लिए दो पेड़ नहीं शहर में छाँव के लिए मशीनी घोड़ों की लत इस क़दर लगी क़ुबूल नहीं  क़दम भर पाँव के लिए कोई कब से न...
Sunday, 17 January 2016

स्वतंत्रता दिवस पर गीत

›
स्वतंत्रता दिवस पर गीत - मनोज शर्मा 'मधुर' ------------------------------------ दासता की प्रेतछाया  राष्ट्र से भगाना सीख लो । स्वतं...

किसको मैं बाँधूगी राखी (रक्षाबंधन पर गीत)

›
किसको मैं बाँधूगी  राखी (रक्षाबंधन पर गीत)-मनोज शर्मा 'मधुर' ***********************************  आया है रक्षाबंधन, घरों में बरस रह...

नववर्ष पर गीत

›
नगर -नगर में धूम मची है झूम रहा  गगन है नया साल है उमंग नई है नया खिला सुमन है रिश्तों की नई पौध लगाने अन्तर्मन झकझोड़ दो जीवन के बेसुध र...

हाकिम अगर मग़रूर होता ही गया

›
हाकिम अगर  मग़रूर होता ही गया सबके दिलों से  दूर होता ही गया मुंसिफ़ ने अपनी आँखें जब से  मूँद लीं ज़ुल्मो-सितम  भरपूर होता ही गया इक बार ...

उसे सोचा, उसे सिरजा, उसे पूजा गया हर पल

›
उसे सोचा, उसे सिरजा, उसे पूजा गया हर पल किसी पत्थर, किसी बुत को ख़ुदा माना गया हर पल कोई तो है सुनेगा जो सदायें उस इरम में से भरोसे में गदा...
›
Home
View web version

About Me

Hasya Kavi Manoj Madhur
View my complete profile
Powered by Blogger.