Thursday, 8 October 2015

हिन्दी के ढ़ोल बजायें

हिन्दी के ढ़ोल बजायें (गीत)- मनोज शर्मा 'मधुर'
***********************************
उठो कलम के रहनुमाओं, मिलकर ज़ोर लगायें
नगरी-नगरी में हिन्दी के, आओ ढ़ोल बजायें

मम्मी, डैडी, अंकल, आंटी सब अंग्रेजी के रेले
 संस्कृति  की चूनर  से , जम के होली खेले 
हिन्दी की महत्ता का, जन-जन को पाठ पढ़ायें
उठो कलम के रहनुमाओं, मिलकर ज़ोर लगायें

रसवंती अपनी हिन्दी के, हम भूल रहे अफ़साने क्यों
पछुवा हवा के पीछे-पीछे,  बन बैठे दीवाने क्यों
स्कूलों में, कॅालेजों में,  फिर हिन्दी का अलख जगायें
उठो कलम के रहनुमाओं, मिलकर ज़ोर लगायें

हिन्दीवालों को क्या करना , क्या लिखा  अंग्रेजी में
अंग्रेजों का  जूता लटका, हमको दिखा  अंग्रेजी में
रंग-बिरंगे गमलों में नित, हिन्दी की पौध लगायें
उठो कलम के रहनुमाओं, मिलकर ज़ोर लगायें
 

No comments:

Post a Comment