Manoj Madhur
Thursday, 8 October 2015
लम्हा-लम्हा खुल के हँसिये-हँसाइये
लम्हा-लम्हा खुल के हँसिये-हँसाइये
भूले-बिसरे सपने फिर से सजाइये
प्यार का गारा लगा के हुज़ूर तुम
रिश्तों के गिरते महल को बचाइये
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment