ताज़ जिसको भी मिलेगा एक दिन
फिर हवा में वो उड़ेगा एक दिन
बस अदब उसका यूँ ही करते चलो
काम तेरे वो करेगा एक दिन
डाल पे फल अपना पकने दो अभी
भाव उसका भी बढ़ेगा एक दिन
तू ज़रा नेकी का दामन थाम ले
साथ जग चलने लगेगा एक दिन
यूँ दरख़्तों को अगर काटोगे तुम
दम सभी का फिर घुटेगा एक दिन
ठोकरें उसको ज़रा खाने दे तू
घर को वो तब घर कहेगा एक दिन
क्या हुआ हारा ' मधुर' तू आज है
दौर तेरा भी चलेगा एक दिन
मायने: अदब-आदर/सत्कार, दरख़्त-पेड़
फिर हवा में वो उड़ेगा एक दिन
बस अदब उसका यूँ ही करते चलो
काम तेरे वो करेगा एक दिन
डाल पे फल अपना पकने दो अभी
भाव उसका भी बढ़ेगा एक दिन
तू ज़रा नेकी का दामन थाम ले
साथ जग चलने लगेगा एक दिन
यूँ दरख़्तों को अगर काटोगे तुम
दम सभी का फिर घुटेगा एक दिन
ठोकरें उसको ज़रा खाने दे तू
घर को वो तब घर कहेगा एक दिन
क्या हुआ हारा ' मधुर' तू आज है
दौर तेरा भी चलेगा एक दिन
मायने: अदब-आदर/सत्कार, दरख़्त-पेड़